H- 1B अमेरिकी वीजा का क्या होगा भारतीयों पर असर !
भारतीय आवेदकों पर असर
नई आवेदन करने वालों के लिए मुश्किल
भारत से जो लोग पहली बार H-1B पर अमेरिका जाना चाहते हैं, उनके लिए अब $100,000 (लगभग ₹83 लाख) की अतिरिक्त फीस देना बेहद कठिन होगा।
इसका मतलब है कि छोटी/मध्यम कंपनियाँ भारतीय कर्मचारियों को Sponsor करना महँगा समझेंगी।

पहले से H-1B वीज़ा धारक भारतीय सुरक्षित हैं
जो भारतीय पहले से H-1B वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं, उन पर यह नियम लागू नहीं होगा।
अगर उनका Extension या Transfer अमेरिका के अंदर से हो रहा है, तो अतिरिक्त फीस नहीं लगेगी।
कंसल्टिंग/आईटी कंपनियों को झटका
भारत की बड़ी आईटी कंपनियाँ (TCS, Infosys, Wipro आदि) हर साल हजारों कर्मचारियों को H-1B के जरिए अमेरिका भेजती हैं।
इतनी ज्यादा फीस देने पर उनकी भर्ती पर असर पड़ेगा और अमेरिका भेजे जाने वाले भारतीयों की संख्या घट सकती है।
छात्रों पर असर
बहुत से भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई (F-1 वीज़ा) के बाद H-1B के लिए अप्लाई करते हैं।
अगर वे अमेरिका के भीतर से अप्लाई करते हैं तो यह फीस नहीं लगेगी, पर जो भारत वापस जाकर अप्लाई करेंगे उन्हें दिक्कत होगी।
ग्रीन कार्ड का रास्ता और कठिन
H-1B अक्सर ग्रीन कार्ड की ओर पहला कदम होता है। अगर नए भारतीय आवेदक कम हो गए, तो लंबे समय में भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की संख्या पर भी असर पड़ सकता है।
👉 कुल मिलाकर:
जो भारतीय पहले से H-1B पर हैं = ज्यादा चिंता की ज़रूरत नहीं।
जो भारत से नए अप्लाई करना चाहते हैं = उनके लिए $100,000 की फीस बहुत बड़ी बाधा है।



