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जाती या अग्निवीरों को स्थाई नौकरी क्या है असली विवाद! जानें क्या हैं अटकलें!

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यह हैं मुख्य दो विवाद

अग्निवीर भर्ती में जाति एवं धर्म प्रमाणपत्र मांगने का विवाद है। जो पहली बार सेना भर्ती प्रक्रिया में देखा गया है, इसके कारण विपक्ष और कुछ राजनीतिक दल इसे जातिगत भेदभाव और सेना की परंपराओं के खिलाफ बताकर सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना की शुद्धता प्रभावित हो सकती है, जबकि सेना और सरकार का कहना है कि यह प्रथा पुरानी है और कोई नया बदलाव नहीं है। जाति और धर्म प्रमाणपत्र लेना भर्ती प्रक्रिया का एक तकनीकी दस्तावेजी कदम माना जा रहा है, न कि भर्ती में भेदभाव का आधार बनाने वाला कदम.

अग्निवीरों के प्रतिधारण (retention) को लेकर विवाद भी है कि किस प्रतिशत सैनिकों को चार साल की सेवा के बाद सेना में स्थायी नौकरी दी जाए। वर्तमान में नियम है कि केवल 25% सैनिकों को ही भर्ती के बाद स्थायी रूप से सेना में रखा जाता है। पर हाल की रिपोर्टों में यह प्रस्ताव है कि इस प्रतिशत को बढ़ाकर 75% तक किया जा सकता है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर जैसे सफल अभियानों के बाद अग्निवीरों की उत्कृष्ट सेवा को देखते हुए। हालांकि सेना ने इस रिपोर्ट को भ्रमित करने वाला और काल्पनिक बताया है, साफ किया है कि अभी तक इस तरह का कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है,

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राजनीती के गलियारों से 

हनुमान बेनीवाल, नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता ने अग्निवीर योजना के विरोध में बड़ा आंदोलन करने की बात कही है। उन्होंने कांग्रेस और BJP दोनों पर निशाना साधा है और कहा कि भर्ती रद्दीकरण के मुद्दे पर सरकार ने सच स्वीकार नहीं किया। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं.

सेना और सरकार के पक्ष में रक्षा मंत्री समेत अधिकारियों के बयान आते रहे हैं कि अग्निवीर योजना सफल है और इसमें सुधार व परिवर्तनों पर विचार किया जा रहा है, जैसे कि भर्ती की अधिकतम आयु बढ़ाना और स्थायी नौकरी देने वाले अग्निवीरों की संख्या बढ़ाना। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस योजना को भारतीय सेना के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कहा है.

गृह मंत्री अमित शाह ने अग्निवीरों के लिए आरक्षण व्यवस्था की तैयारी और लागू करने की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि इसका कार्य लिखित रूप से गंभीरता से हो रहा है ताकि अग्निवीर रिटायर होने पर आरक्षण मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इसे मजबूत बनाने की पूरी कोशिश कर रही है.

सेना कमांडरों के सम्मेलन में अफवाहों का खंडन करते हुए सेना ने स्पष्ट किया कि अग्निवीरों के स्थायी सैनिक के रूप में रिटेंशन रेट 25% से बढ़ाकर 75% करने का कोई आधिकारिक निर्णय अभी तक नहीं हुआ है,

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