अलविदा मिग 21 – भारतीय वायुसेना का जंगी जहाज मिग-21 आज हुआ रिटायर पढ़ें पूरी जानकारी
भारत के लिए कई जंग लड़ी हैं MiG –21 ने
आज 26 सितंबर 2025 को भारत ने अपने आखिरी MiG-21 लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया है।
चंडीगढ़ एयरबेस पर एक विशेष विदाई समारोह हुआ, जिसमें MiG-21 विमानों ने अपनी अंतिम उड़ान भरी।
विमानों को लैंडिंग के बाद जल तोप सलामी (water cannon salute) दी गई।
इस मौके पर रक्षा मंत्री, सैन्य कमांडर और अन्य उच्च अधिकारी मौजूद थे।
वायुसेना का लड़ाकू स्क्वाड्रन संख्या अब घटकर 29 स्क्वाड्रन रह गई है, जो अधिकृत 42 स्क्वाड्रन की तुलना में काफी कम है।
MiG-21 की सेवा सेवानिवृत्त होना एक युग का अंत है, क्योंकि यह विमान भारत की वायु सुरक्षा में करीब 62 वर्षों तक अहम भूमिका निभाता रहा।

क्या है MiG –21
MiG-21 दुनिया का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया गया और सबसे ज़्यादा बनाया गया सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। इसे सोवियत संघ की कंपनी Mikoyan-Gurevich Design Bureau ने बनाया था।
इसे “Fishbed” (NATO नाम) भी कहा जाता है।
MiG-21 की खास बातें:
पहली उड़ान: 1956 में (सोवियत संघ में)।
भारतीय वायुसेना में शामिल: 1963 में।
रफ्तार: करीब Mach 2.05 (2,175 km/h) यानी आवाज़ की रफ्तार से दोगुना।
उड़ान ऊँचाई: लगभग 58,000 फीट तक जा सकता है।
रेंज: लगभग 1200 किमी (ईंधन और मिशन पर निर्भर)।
हथियार:
23mm की मशीन गन
हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
बम और रॉकेट
भारत में MiG-21:
भारत ने कुल लगभग 872 MiG-21 विमान लिए थे।
1965, 1971 और कारगिल युद्ध में इनका अहम रोल रहा।
1971 के युद्ध में भारत ने MiG-21 से पाकिस्तान के कई विमानों को गिराया था।
तेज रफ्तार और फुर्ती की वजह से इसे “Flying Coffin” और “Widow Maker” जैसे नाम भी मिले, क्योंकि समय के साथ इसमें कई हादसे हुए।
कुल मिलाकर, MiG-21 ने भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है, लेकिन अब इसकी जगह तेजस, राफेल और सुखोई-30MKI जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान ले रहे हैं।
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