बिहार विधानसभा चुनावों की चुनाव आयोग ने कर दी घोषणा, अब राजनीतिक पार्टियों की बारी
चुनाव आयोग ने आज बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तिथियों का ऐलान कर दिया है। इस बार चुनाव दो चरणों में होंगे और मतगणना की तारीख भी तय कर दी गई है।
नीचे इस महत्वपूण्न प्रक्रिया की समय रेखा और अन्य अहम बातें दी गई हैं।
कार्यक्रम तिथि / विवरण
मतदान (पहला चरण) 6 नवंबर 2025 — 121 विधान सभा क्षेत्रों में मतदान होगा
मतदान (दूसरा चरण) 11 नवंबर 2025 — बाकी के 122 क्षेत्रों में मतदान होगा
मतगणना 14 नवंबर 2025 — दोनों चरणों के मतदान की मतगणना एक ही दिन होगी
आयोग अधिसूचना जारी पहले चरण के लिए 10 अक्टूबर; दूसरे चरण के लिए 13 अक्टूबर
नामांकन की अंतिम तिथि पहले चरण के लिए 17 अक्टूबर; दूसरे के लिए 20 अक्टूबर
नामांकन की जाँच (scrutiny) पहले चरण: 18 अक्टूबर; दूसरे चरण: 21 अक्टूबर
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि पहले चरण: 20 अक्टूबर; दूसरे चरण: 23 अक्टूबर
इस बार 243 सीटों के लिए चुनाव होंगे, यानी पूरे बिहार की विधानसभा का मायलेज तय होगा।
निर्वाचक सूची (मतदाता सूची) को “Special Intensive Revision (SIR)” नामक अभियान के तहत अपडेट किया गया है। इसमें 7.42 करोड़ (लगभग) मतदाताओं को सूची में शामिल किया गया है।
इस पुनरीक्षण के दौरान लगभग 65 लाख नाम हटाए गए या अयोग्य पाए गए, जिसके कारण विवाद भी उठा है। विपक्ष ने इसे पक्षपात तो निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए बचाव किया है।
चुनाव की पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु हर मतदान स्थल पर 100% वेबकैस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है ताकि बूथ-कैप्चरिंग, गड़बड़ी आदि पर निगरानी हो सके।
इसके अलावा, लगभग 9,000 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से लगभग 1,000 बूथ महिलाओं द्वारा संचालित होंगे।
चुनाव आयोग ने 470 केंद्रीय पर्यवेक्षक तैनात किए हैं, ताकि चुनाव व्यवस्था पर निगरानी की जा सके।
राजनीति पर असर
बिहार चुनाव को अक्सर “माँ सब चुनावों की जननी” कहा जाता है — इसका मतलब है कि राज्य की राजनीति, गठबंधन और क्षेत्रीय समीकरण पूरे देश की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
सरकार बदलने का अवसर है — वर्तमान में जद (यू) + भाजपा गठबंधन (NDA) की सरकार बिहार में है। कई दल, विशेषकर महागठबंधन (RJD + कांग्रेस + अन्य), इस बार सत्ता पर दावेदार हैं।
मतदाता अब केवल संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता और निष्पक्षता की अपेक्षा रखते हैं। नई तकनीकियों, निगरानी प्रणालियों और मतदाता सूची सुधार ने चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की कोशिश की है।




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